देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
कृष्ण और शिकारी, संत की कथा - प्रभु भक्त अधीन
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
गवालिन मस्तानी, गवालिन दीवानी
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
कहैं अयोध्यादास durga puja आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
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वाकी लत घ
पक्षी और बादल द्वारा लायी गई चिट्ठियों को पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ पाते हैं।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
मेरे कहना पे टोना कर गयी गवालिन मस्तानी
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
हरि जी मेरी लागी लगन मत तोडना